कट्टरता ने जबरन थामा मेरा हाथ
निर्ममता ने किया मुझ पर किया ऐसा
घिनौना प्रहार !
आह ! जली ऐसी ज्वाला
जले दो सुन्दर पुष्प ,नन्हे कम्लान
न देखा जिसने ये सुन्दर संसार ,
देखी निष्ठुरता और ये क्रूर प्रहार
पल में धू-धू कर दहक उठी मैं प्रलयकारिणी
किया मैंने शोक-विलाप मन मे उठा हाहाकार
तभी चला मदमत हवा का प्रवाह
और उड़ी वो मासूम राख
कर मुझे कलुषित !
इस प्रलयप्रवाह में
मैं उठी कराह !!!