सोमवार, 19 मार्च 2012

मै समंदर

मै समंदर तन्हां
खुद मे तूफानों को समाये
तकदीर मे लिखी फ़कत तन्हाई
जिंदगी तू भला कब हमें रास  आई
शब्द -कमल खिले जो भूल से इस सहरा मे
भ्रम थे सभी निरर्थक अर्थ वाले
न पास आये साहिल कभी दूर से दिखने वाले
रास आये  वही  आंसू सदा संग रहने वाले
फिर से मझधार बसेरा अपना
आसमान न समझ सकेगा तड़प हमारी
खामाशी  से खड़ा है ,लबो पर मुस्कराहट सजाये !!!!!!!!!!!

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