मै समंदर तन्हां
खुद मे तूफानों को समाये
तकदीर मे लिखी फ़कत तन्हाई
जिंदगी तू भला कब हमें रास आई
शब्द -कमल खिले जो भूल से इस सहरा मे
भ्रम थे सभी निरर्थक अर्थ वाले
न पास आये साहिल कभी दूर से दिखने वाले
रास आये वही आंसू सदा संग रहने वाले
फिर से मझधार बसेरा अपना
आसमान न समझ सकेगा तड़प हमारी
खामाशी से खड़ा है ,लबो पर मुस्कराहट सजाये !!!!!!!!!!!
खुद मे तूफानों को समाये
तकदीर मे लिखी फ़कत तन्हाई
जिंदगी तू भला कब हमें रास आई
शब्द -कमल खिले जो भूल से इस सहरा मे
भ्रम थे सभी निरर्थक अर्थ वाले
न पास आये साहिल कभी दूर से दिखने वाले
रास आये वही आंसू सदा संग रहने वाले
फिर से मझधार बसेरा अपना
आसमान न समझ सकेगा तड़प हमारी
खामाशी से खड़ा है ,लबो पर मुस्कराहट सजाये !!!!!!!!!!!