agnivarsha
my mostly poems inspired by the some heartrending event which always to be reason of my writing.
गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010
agnivarsha: asmita
agnivarsha: asmita
: "आह! न अब मैं सती रही न अब वो गति रही , न अब वो अग्निहोत्र रही ! ये क्या कहती हो ? तुम तो सदियों से आग हो , आग ही रहोगी . पवित्रता भी तो सदैव..."
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें