मंगलवार, 16 नवंबर 2010

aahuoti

पशु- आहुति की कुत्सित प्रथा
किसने जानी इस माँ की मौन व्यथा !
था जो अभी सजीव,पड़ा अब रक्तरंजित  निर्जीव
आह बरसने लगा इन क्रद्नमय आँखों  से हलाहल नीर
मिट सकेगी भला कैसे ये पीर
सोच रही धरा धीर गंभीर !

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